Wednesday, August 8, 2018

सुप्रीम एयरलाइंस ने पायलट की गलती को स्वीकारा, मुकदमा नहीं होगा दर्ज


श्रीगंगानगर। जयपुर-श्रीगंगानगर के बीच दैनिक हवाई सेवा आरंभ करने वाली सुप्रीम एयरलाइंस के मुख्य कार्यकारी अधिकारी दीपक अग्रवाल ने स्वीकार किया है कि मंगलवार को लालगढ़ हवाई पट्टी पर हुआ हादसा पायलट की गलती से हुआ था। मंगलवार को डीजीसीए की टीम लालगढ़ पहुंच गयी और घटनास्थल का निरीक्षण किया। अधिकारियों ने मीडिया से दूरी बनाकर रखी। इस मामले में नियमानुसार मुकदमा दर्ज नहीं किया जा सकता, इस कारण लालगढ़ पुलिस थाने में कोई एफआईआर भी दर्ज नहीं हुई है।
मंगलवार को लालगढ़ हवाई पट्टी पर हुआ हादसा पायलट की गलती थी। यह बात कंपनी के सीईओ ने दी है। सुप्रीम एयरलाइंस के दीपक अग्रवाल का कहना है कि रनवे तो पर्याप्त था लेकिन पायलट ने जहां लैंडिंग करना था, वहां नहीं की और गति को भी वह नियंत्रित नहीं रख पाया। इस मामले की जानकारी डीजीसीए को दी गयी थी और टीम ने मौका-मुआयना भी किया है।
कंपनी की तरफ से सांध्यदीप को यह भी जानकारी दी गयी है कि पायलट को 15 सौ घंटे एयरक्रॉफ्ट का अनुभव है। हालांकि नियमानुसार 200 घंटे के बाद एयरक्राफ्ट को चलाने की अनुमति मिल जाती है। अगर पायलट को 15 सौ घंटे का अनुभव था तो निश्चित रूप से उस पर थकावट ने असर किया होगा। अभी यह पता नहीं चला है कि जयपुर-श्रीगंगानगर के बीच दो बार अपडाउन फ्लाइट को एक ही पायलट लेकर आता था या अन्य था। पायलट को सबसे ज्यादा परेशानी लैंडिंग के वक्त ही होती है और हल्की सी चूक भारी पड़ जाती है। मंगलवार को लालगढ़ हवाई अड्डे पर हुआ भी यही। एक पुलिस वाले ने बताया कि वह रोजाना एक ही व्यक्ति को देखता था जो जहाज लेकर आता था। इसका अर्थ यह भी है कि अगर एक ही पायलट रोजाना दो बार अपडाउन करता था तो निश्चित रूप से कंपनी की भी लापरवाही है।
दूसरी ओर थानाधिकारी तेजवंतसिंह बराड़ ने बताया कि मंगलवार को हुए हादसे के मामले में कोई मुकदमा दर्ज नहीं हुआ है। हालांकि कानून भी यही कहता है कि डीजीसीए ही पायलट व कंपनी के खिलाफ कार्यवाही के लिए अधिकृत है और पुलिस उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज नहीं कर सकती। वहीं प्रशासन अपने स्तर पर जांच करवा सकता है और सरकार तक अपनी रिपोर्ट दे सकता है। डीजीसीए के आगामी आदेशों तक हवाई यात्रा को रोक दिया गया है। कंपनी की ओर से बताया गया है कि प्रति यात्री 50 लाख रुपये तक का बीमा करवाया जाता है, किसी हादसे में जनहानि होने पर। इस राशि के लिए बीमा कंपनी पर ही क्लेम किया जा सकता है। 

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