Friday, July 27, 2018

जोधपुर के नये आईजी एचजी राघवेन्द्र सुहासा : गरीबों के लिए देवदूत


श्रीगंगानगर। राज्य सरकार ने एक बहुत बड़ा निर्णय लेते हुए गरीबों के लिए देवदूत की छवि रखने वाले आईपीएस एचजी राघवेन्द्र सुहासा को जोधपुर रेंज का आईजी नियुक्त किया है और यह निर्णय सरकार को आगामी चुनावों में बहुत ही फायदे वाला हो सकता है क्योंकि यह अधिकारी गरीबों की पीड़ा को जानता है और उनकी पीड़ा को सुनने के लिए उनके घर तक जा सकता है और आरोपी कितना भी प्रभावशाली हो, उसको सलाखों के पीछे पहुंचाने की ताकत रखता है। दिल रखता है। सोच भी रखता है।
कर्नाटक की राजधानी बेंगुलरू से कुछ किमी की दूरी पर एक गरीब घर में जन्म लेकर अपनी प्रतिभा के बलबूते पर इंजीनियर बने। संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा को उत्तीर्ण किया। राजस्थान कैडर मिला। अजमेर जिले में सौरभ श्रीवास्तव एसपी के नीचे एसएचओ स्तर की टे्रनिंग ली और फिर भरतपुर जिले में सीओ के पद पर रहे। वहां उन्होंने अपराध पर वो नियंत्रण किया कि आज भी लोग उनको याद करते हैं। एक प्रशिक्षु आईपीएस की विदाई के समय उन्हें लोग जयपुर तक छोडऩे के लिए आये थे। डीग की जनता उन्हें आज भी भूल नहीं पायी है।
इसके बाद उनकी प्रतिभा को देखते हुए सीएम वसुंधरा राजे ने अपने गृह जिले झालावाड़ में उनको पहली नियुक्ति दी। वहां अच्छा कार्य करने के बाद हनुमानगढ़ जिले में वे एसपी रहे और फिर जयपुर में एसपी रहे। उनके ही क्षेत्र में बम ब्लास्ट हुए थे और आतंकवादियों को उन्होंने बिना सीसीटीवी कैमरों की मदद से ही तलाश लिया था। उनको कई राज्यों तक जाना पड़ा लेकिन वे उन आरोपियों को नामजद करने में सफल रहे। इससे वे पूरे देश में एक मजबूत आईपीएस के रूप में पहचान बनाने में कामयाब हो गये।
श्री सुहासा को वे नेता पसंद नहीं करते जो पुलिस को अपनी कठपुतली बनाकर काम करवाना चाहते हैं। यही कारण रहा कि हरियाणा के आईएएस खेमका की तरह उनका भी एसपी के रूप में अनेक जिलों में तबादला हुआ। वे बीकानेर जिला एसपी के पद पर भी 2009-10 में रहे। इसके बाद उनको नागौर और भीलवाड़ा जिलों में भी नियुक्ति मिली। डीआईजी बनने के बाद उनको जयपुर मुख्यालय में सिक्योरिटी जैसा महत्वपूर्ण विभाग मिला। अब उनको राज्य सरकार ने जोधपुर रेंज का आईजी के पद पर नियुक्त किया है और यह आम आदमी की जीत होनी चाहिये, क्योंकि वे गरीब लोगों के लिए देवदूत से कम नहीं है।
जब कोई भी व्यक्ति आईएएस या आईपीएस पद पर चयनित हो जाता है तो वह खुद को बहुत ही बलवान समझने लगता है। ओवरमांइड रियेक्शन करता है। सरकारें ऐसे अधिकारियों को सबक भी सिखाती हैं और उनको जिलों में नहीं बल्कि आरएसी जैसे विभाग में कमांडेंट बनाकर भेज देती हैं, जहां उनके लिए सिरदर्दी के अलावा कोई काम नहीं होता। कोई भी आम व्यक्ति से वह सम्पर्क में नहीं रहता। पुलिस से उसका कोई वास्ता नहीं होता। ऐसे लोगों को सरकार उनकी औकात दिखा देती है।
वहीं सुहासा गरीबी में पढ़े लिखे हैं। गरीबी में रहे हैं। गरीबी उन्होंने देखी है। वे उस दौर को भी देख चुके हैं जब स्कूल जाने के लिए उनके पास स्पोट्र्स शूज नहीं होते थे। बस में जाने के लिए किराया नहीं होता था। आज वही व्यक्ति एक सीनियर आईपीएस के रूप में लाखों लोगों को न्याय दिलाने, उनकी रक्षा करने के लिए नियुक्त किया गया है। निसंदेह गरीब लोगों की वे पीड़ा को समझने में कामयाब होंगे और वहां कानून का राज मजबूत कर सरकार की नीतियों को भी आमजन तक पहुंचायेंगे ताकि सरकार की छवि और बेहतर हो सके।

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