Tuesday, August 21, 2018

अशोक चाण्डक ने जोर का झटका धीरे से दिया

श्रीगंगानगर। श्रीगंगानगर को वीरान इलाका समझकर कई छुट्टभैये नेता कौओं की तरह कांव-कांव कर रहे थे। वो नेता भी प्रत्याशी का दावेदारी कर रहे थे जो कभी शहरवासियों के सुख-दुख में काम नहीं आये, जो कभी सामाजिक-राजनीतिक आंदोलन में हिस्सेदार नहीं रहे। ऐसे नेता भी अपने आप को शीशे में खड़ा होकर निहारते थे और स्वयं को ही अगला विधायक होने का विश्वास जताते हुए खुद की पीठ थपथपा लेते थे। ऐसे लोगों को बहुत बड़ा झटका जयपुर से लगा है। मंगलवार दोपहर का घटनाक्रम दोनों पार्टियों के नेताओं के लिए खतरे की घंटी लेकर आया है।
समाजसेवी अशोक चाण्डक ने मंगलवार को प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कार्यालय में पहुंचकर प्रदेशाध्यक्ष सचिन पायलट के सामने पार्टी की प्राथमिकता सदस्यता ग्रहण की। श्री पायलट ने श्री चाण्डक जैसे कद्दावर समाजसेवी के पार्टी में शामिल होने का तहेदिल से स्वागत किया। उन्होंने विश्वास जताया कि उनके पार्टी में आने से निश्चित ही कांग्रेस जिले में और मजबूत बनकर सामने आयेगी।
अशोक चाण्डक ने सक्रिय राजनीति में शामिल होकर धमाका कर दिया। वे कभी भी पहले सक्रिय राजनीति में नहीं थे और अपने ही व्यापार को संभाल रहे थे जबकि राजनीति की जिम्मेदारी अपने छोटे भाई अजय चाण्डक को दी हुई थी। अजय चाण्डक पहले नगर परिषद के उपसभापति रह चुके थे और वर्तमान में सभापति हैं। उनका कार्यकाल अगले साल पूरा हो जायेगा।
समाजसेवी की छवि रखने वाले अशोक चाण्डक भले ही पहले कभी सक्रिय राजनीति में नहीं रहे हों लेकिन अपनी राजनीतिक चालों से बड़ों-बड़ों को उन्होंने ढेर किया है। वार्ड नं 28 शुद्ध रूप से अरोड़वंशियों का वार्ड है। 2009 के नगर परिषद चुनावों में इस वार्ड में 11 अरोड़वंशी खड़े हुए थे। सभी ने अपना समर्थन अशोक चाण्डक की रणनीति के चलते अजय चाण्डक को दे दिया था। अजय निर्वाचित हुए तो सभापति के चुनावों में 48 पार्षदों ने उन्हें अपना समर्थन दिया। यह अभूतपूर्व था। आज तक के इतिहास में सभापति के किसी भी प्रत्याशी को इतने वोट नहीं मिले थे। यह सब अशोक चाण्डक की रणनीति का ही कमाल था।
वे भले ही स्वयं सक्रिय राजनीति में नहीं रहे हों लेकिन प्रशासन-पुलिस में उनका प्रभाव रहा है और इस बात को शहरवासी दरकिनार नहीं कर सकते। आज तक जो भी कार्य असंभव समझा जाता रहा हो, वह अशोक चाण्डक ने अपनी चतुराई का इस्तेमाल करते हुए संभव बनाया है। इस तरह के चमत्कार वे पहले भी कई बार कर चुके हैं।
अब वे कांग्रेस में शामिल हो गये हैं तो निश्चित रूप से उन नेताओं में खलबली मच जायेगी, जो स्वयं को जीता हुआ मान रहे थे। कांगे्रस में आधा दर्जन उम्मीदवार टिकट मांगने के लिए लाइन में थे लेकिन इन सभी को चाण्डक ने जोर का झटका धीरे से दे दिया है। भूकम्प के बाद जैसी स्थिति तो भाजपा में भी है। किसी ने नहीं सोचा था कि राजनीति के समीकरण इस तरह से भी बदल सकते हैं। निश्चित रूप से आने वाले दिनों में श्रीगंगानगर शहर की राजनीति का केन्द्र चाण्डक का कार्यालय बन सकता है जहां चुनावों की सभी तरह की रणनीतियां बनेंगी और पूरी भी होंगी। 

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