Sunday, August 5, 2018

'सांध्यदीपÓ ने जॉर्डन के कत्ल से दो महीने पहले ही आशंका जता दी थी


परिजन चीख-चीखकर कह रहे थे, हमारे बेटे को राकेश नारंग ने मारा है
पुलिस गोली चलने के एक घंटे बाद ही पंजाब पहुंच गयी जैसे वहां हत्यारा उनका इंतजार कर रहा हो

श्रीगंगानगर। जॉर्डन नामक युवक की गत 21 मई को हत्या कर दी गयी थी। जॉर्डन पहले गैंगस्टर था। मारपीट आदि के कई मुकदमे उस पर थे। फिर वह अपने को पर्ची सट्टा तक सीमित कर चुका था। इसको लेकर उसकी राकेश नारंग से विवाद हो गया था। इन दोनों के बीच खूनी संघर्ष हो सकता है, इसको लेकर 13 मार्च 2018 को ही 'सांध्यदीपÓ ने विस्तार से खबर प्रकाशित की थी। उसकी फिजिकल कॉपी आज भी है और उसको कोई भी ले सकता है, जबकि पीडीएफ रीडवेयर नामक वेबसाइट पर भी उपलब्ध है, प्रमाण के लिए इस न्यूज के साथ भी उस खबर की फोटो लगायी जा रही है।
'सांध्यदीपÓ ने 13 मार्च 2018 को प्रकाशित कर दिया था कि राकेश नारंग की सट्टाकिंग की हैसियत को चुनौति देने एक गैंगस्टर आ गया है। इसको लेकर  खूनी संघर्ष हो सकता है। उस खबर में जॉर्डन का नाम नहीं प्रकाशित किया गया था, लेकिन साफ इशारा किया गया था। उस खबर को आप पढ़ सकते हैं।
अब जॉर्डन की मर्डर मिस्ट्री पर नजर डालते हैं। जॉर्डन रोजाना सुबह जिम में जाता है, इसकी खबर उसके विरोधियों को थी। इससे पहले नेहरू पार्क में भी जाता है। वहां काफी देर मॉर्निंग वॉक करता है। यह खुद पुलिस जांच के बाद अपने बयानों में दे चुकी है। इसके बाद वह अपने निजी वाहन से जिम तक जाता है। यहां गौर करने वाली बात है।
जब विरोधियों को पता था कि जॉर्डन नेहरू पार्क में जाता है। नेहरू पार्क सुबह 4 बजे के करीब खाली होता है। आसपास ज्यादा घर भी नहीं है क्योंकि एक तरफ गुरुनानक स्कूल और कॉलेज है। दूसरी तरफ बस स्टैण्ड का पिछवाड़ा है। तीसरी तरफ दुकानें हैं। मुख्य गेट के पीछे ही सिर्फ मकान है। याने यह इलाका सुबह चार बजे बिलकुल सुनसान होता है। यहां जॉर्डन का मर्डर करना और भी ज्यादा आसान होता, क्योंकि सुबह 4 बजे हमलावरों की पहचान करने वाला कोई भी नहीं होता।
लेकिन गोली मारने वालों ने ऐसा नहीं किया। उसका जिम में जाने का इंतजार किया। जिम जवाहरनगर में है। जहां आसपास आलीशान कोठियां बनी हैं और हर गली-मोहल्ले में सीसीटीवी कैमरे लगे हैं। जिम में सीसीटीवी कैमरे लगे हैं। इसके बावजूद हत्यारों ने उसका वहां कत्ल करना ज्यादा ठीक समझा। इसके पीछे मुख्य वजह यह थी कि साजिश के दौरान ही यह तय कर लिया गया होगा कि मर्डर जवाहरनगर में ही होना चाहिये।
इसका भी एक मुख्य कारण था। कोतवाली थाने में एसएचओ हनुमानाराम बिश्नोई हैं। श्री बिश्नोई जोधपुर रेंज में ही रहे हैं। यहां आये हुए उनको ज्यादा समय नहीं हुआ है। वे यहां ज्यादा लोगों से अभी मेलजोल भी नहीं कर पायें हैं इस कारण उन पर प्रेशर डाला जाना मुश्किल होता। वे तो कोतवाली थाने का टारगेट कर गंगानगर जिले में आये भी नहीं थे। उनको रावला भी लगा दिया जाता तो भी वे वहां चले जाते।
लेकिन जवाहरनगर थाना में स्टाफ कई सालों से गंगानगर जिले में ही नियुक्त रहा है। वहां जॉर्डन का कत्ल होता तो वहां जांच को प्रभावित किया जा सकता है, यह साजिश का हिस्सा थी और हमलावर इसमें कामयाब भी हो गये। सीसीटीवी कैमरे में जो तीन लोग कैद हुए थे, वह अभी तक पकड़े भी नहीं गये हैं। पंजाब से जवाहरनगर पुलिस छुटभैये गुंडों को पंजाब पुलिस से उठा लायी और यहां उनको हत्या का मुलजिम बताकर गिरफ्तार कर लिया गया। इससे पंजाब पुलिस की भी मुश्किलें खत्म हो गयीं और गंगानगर पुलिस की भी परेशानी समाप्त। पंजाब में रहते तो फिर वहां अपराध करते। अब कई साल अंदर रहेंगे तो वहां की पुलिस को कुछ सुकून मिलेगा। गंगानगर पुलिस ने उन लोगों को हत्यारे बनाकर पेश कर दिया। जेल चले गये। मीडिया में खबर भी छप गयी, जबकि अपने जवान बेटे को खोने वाले जॉर्डन के माता-पिता को तो न्याय नहीं मिला। वह आज भी तड़प रहे हैं।
सांध्यदीप के सम्पादक पर हमला जॉर्डन के हमले से पहले की गयी तैयारी का ही हिस्सा था। 1 मई को सम्पादक पर हमला हुआ, 21 मई को जॉर्डन को खत्म कर दिया गया। इस मामले में पुलिस की भूमिका इसलिए भी संदेह के घेरे में आ जाती है क्योंकि पुलिस जिम की सीसीटीवी की हार्ड डिस्क ही निकालकर ले गयी, ताकि जिम का मालिक उसमें कुछ संदिग्ध मिले तो मीडिया को नहीं दे दे। हार्ड डिस्क जिम मालिक की निजी सम्पत्ति थी और पुलिस उसको वहां से नहीं ले जा सकती थी, लेकिन यहां पुलिस ने गुंडागर्दी की और जिम मालिक तो विरोध भी नहीं कर पाया। पुलिस मौके से सिर्फ वजह सबूत ही बरामद कर सकती है। सीसीटीवी कैमरों की फुटेज की वह कॉपी लेने की हकदार थी। जॉर्डन के परिजनों ने राकेश नारंग को नामजद करवाया था, लेकिन जवाहरनगर पुलिस ने नारंग से पूछताछ नहीं की। उसको चार-पांच दिन बाहर भेज दिया गया। वह वापिस आया और आराम से अपने धंधे में बिजी हो गया। पुलिस पंजाब में गुंडे तलाशने में लग गयी ताकि किसको बलि का बकरा बनाया जाये। वह अपने मंसूबों में कामयाब भी हो गयी। यह संयोग तो नहीं हो सकता कि जॉर्डन और पत्रकार सतीश बेरी पर हमला करने वाला व्यक्ति दोनों मामलों में ही मुख्य अभियुक्त के रूप में दर्ज करवाया गया हो।

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