टाक का शक्ति प्रदर्शन फेल हुआ तो एक और सेठ श्रीकृष्ण मील आ गये मैदान में
हर सेठ की है इस बार विधायक बनने की चाहत
श्रीगंगानगर। जब कोई जवान महिला विधवा हो जाती है तो हर कोई उसका देवर बनने को तैयार हो जाता है। इस तरह का हाल श्रीगंगानगर विधानसभा क्षेत्र को लेकर है। जिसके चेहरे को शहर की 10 प्रतिशत जनता भी नहीं जानती, वह भी विधायक बनने के लिए दावे कर रहा है और मीडिया को माध्यम बनाकर अपना नाम आगे कर रहा है। दौड़ में कुछ लोग आ रहे हैं तो कुछ बाहर भी हो रहे हैं। दौड़ में सबसे पहले बाहर होने वालों में प्रहलाद राय टाक शामिल हुए। उन्होंने अपनी बंद मु_ी राजनीतिक अनुभव की कमी के चलते खोल दी और फिर वही हुआ जिसका भय था। उनका नाम शहर से चर्चा से हट गया। अब नया सेठ आये हैं। नाम है श्रीकृष्ण मील। व्यापारी हैं। सूरतगढ़ के पूर्व विधायक गंगाजल मील के भाई तथा पूर्व जिला प्रमुख पृथ्वीराज मील के चाचा हैं। इसके अतिरिक्त एक विवादित डॉक्टर भी मैदान में आ रहा है। अरोड़वंशी होने के नाम पर वह खुद को भावी विधायक पेश कर रहा है। उसके चेहरे को अधिकांश मीडियाकर्मी भी नहीं जानते। कुछ भाजपाई ही उसको आगे कर रहे हैं। यह भाजपाई ही पिछली बार भाजपा को हराने में अहम भूमिका निभा चुके हैं।
पिछले कुछ सालों से सक्रिय राजनीति में सक्रिय अनेक नेता स्वयं को टिकट का दावेदार पहले से ही बताते रहे हैं। इनमें जगदीश जांदू, जेएम कामरा, राजकुमार गौड़, अंकुर मिगलानी, जयदीप बिहाणी, अर्जुन राजपाल, ललित बहल आदि कांग्रेसी नेता शामिल थे। वहीं भाजपा की ओर से पूर्व मंत्री राधेश्याम गंगानगर, उनके पुत्र रमेश राजपाल, महेश पेड़ीवाल, शिव स्वामी,राजकुमार सोनी, अजय चाण्डक, संजय महीपाल, प्रहलाद राय टाक आदि शामिल थे। इन लोगों ने खुलकर दावेदारी भी पेश की है।
वहीं अरोड़वंशी बाहुल्य विधानसभा क्षेत्र होने के कारण अरोड़वंशी के नाम पर एक दर्जन से ज्यादा चेहरे पहले से थे। इनमें अर्जुन राजपाल, राधेश्याम गंगानगर, रमेश राजपाल, नमिता सेठी, जेएम कामरा, अंकुर मिगलानी, ललित बहल आदि-आदि। अब इनमें एक और नया नाम जुड़ गया है। अरोड़वंशी है। भाजपा से नाता रखता रहा है। अब भाजपाई का एक ही विरोधी गुट इस चेहरे को आगे कर चुनाव मैदान में उतारने का प्रयास कर रहा है। यह भी पैसे वाला है। खूब पैसा कमाया है डॉक्टरी के पेशे से। या यूं कहा जा सकता है कि जिले की जनता की मजबूरियों को हथियार बनाकर लूटा है। अब इस पैसे को लूटने के लिए ही भाजपा के लोग इस चेहरे को एमएलए का ख्वाब दिखा रहे हैं।
वहीं प्रहलाद राय टाक ने पिछले दिनों अपनी बंद मु_ी खोल दी। लोगों को शानदार भोजन खिलाने का लालच भी दिया किंतु आये 1 हजार लोग भी नहीं। उनके नजदीकी लोग ही अब मान रहे हैं कि टाक ने बंद मु_ी खोलकर बहुत बड़ी गलती कर दी। उन्होंने जहां लाखों खर्च करके अपने कार्यक्रम के सफल होने का प्रचार करवाया हो लेकिन शहरवासी जानते हैं कि वह वर्चुअल था। उसमें हकीकत नहीं थी। जो नेता शक्ति प्रदर्शन कर रहा हो और वह एक हजार लोग भी नहीं जुटा पा रहा हो तो इसका अर्थ यही है कि वह दौड़ से बाहर हो गया। ईमानदारी से विचार करेंगे तो श्री टाक को भी लगेगा कि शहरी क्षेत्र से तो उतने भी लोग नहीं आये, जितनी आशा की जा रही थी। जो भी कुम्हार बिरादरी के लोग आये, वह बाहरी क्षेत्र से थे।
टाक की बंद मुट्ठी खुलते ही अब एक और व्यापारी नेता ने विधायक बनने के ख्वाब देखने आरंभ कर दिये हैं। श्रीकृष्ण मील बड़े व्यापारी हैं। संयुक्त व्यापार मंडल के अध्यक्ष रहे हैं। नगर परिषद सभापति बनने का भी सपना देखा था जो पूरा नहीं हो पाया। अब वह सीधे विधायक बनने के लिए कमर कस रहे हैं। पिछली बार कांगे्रस प्रत्याशी भी जाट थे और अरोड़वंशियों ने जननेता की छवि होने के बावजूद उनको नकार दिया था। पिछले पांच सालों में अरोड़वंशियों ने अपनी अनदेखी को प्रशासन, राजनीतिक, पुलिस आदि क्षेत्रों में महसूस किया है। इस कारण वे अरोड़वंशी को ही विजयी बनाने का प्रयास करेंगे ताकि उनके समाज की खोई हुई प्रतिष्ठा तो वापिस आ जाये। इससे उन सेठ लोगों को गहरा धक्का लग सकता है जो सिर्फ पैसों के दम पर ही विधानसभा में पहुंचने का सपना देख रहे हैं।
हर सेठ की है इस बार विधायक बनने की चाहत
श्रीगंगानगर। जब कोई जवान महिला विधवा हो जाती है तो हर कोई उसका देवर बनने को तैयार हो जाता है। इस तरह का हाल श्रीगंगानगर विधानसभा क्षेत्र को लेकर है। जिसके चेहरे को शहर की 10 प्रतिशत जनता भी नहीं जानती, वह भी विधायक बनने के लिए दावे कर रहा है और मीडिया को माध्यम बनाकर अपना नाम आगे कर रहा है। दौड़ में कुछ लोग आ रहे हैं तो कुछ बाहर भी हो रहे हैं। दौड़ में सबसे पहले बाहर होने वालों में प्रहलाद राय टाक शामिल हुए। उन्होंने अपनी बंद मु_ी राजनीतिक अनुभव की कमी के चलते खोल दी और फिर वही हुआ जिसका भय था। उनका नाम शहर से चर्चा से हट गया। अब नया सेठ आये हैं। नाम है श्रीकृष्ण मील। व्यापारी हैं। सूरतगढ़ के पूर्व विधायक गंगाजल मील के भाई तथा पूर्व जिला प्रमुख पृथ्वीराज मील के चाचा हैं। इसके अतिरिक्त एक विवादित डॉक्टर भी मैदान में आ रहा है। अरोड़वंशी होने के नाम पर वह खुद को भावी विधायक पेश कर रहा है। उसके चेहरे को अधिकांश मीडियाकर्मी भी नहीं जानते। कुछ भाजपाई ही उसको आगे कर रहे हैं। यह भाजपाई ही पिछली बार भाजपा को हराने में अहम भूमिका निभा चुके हैं।
पिछले कुछ सालों से सक्रिय राजनीति में सक्रिय अनेक नेता स्वयं को टिकट का दावेदार पहले से ही बताते रहे हैं। इनमें जगदीश जांदू, जेएम कामरा, राजकुमार गौड़, अंकुर मिगलानी, जयदीप बिहाणी, अर्जुन राजपाल, ललित बहल आदि कांग्रेसी नेता शामिल थे। वहीं भाजपा की ओर से पूर्व मंत्री राधेश्याम गंगानगर, उनके पुत्र रमेश राजपाल, महेश पेड़ीवाल, शिव स्वामी,राजकुमार सोनी, अजय चाण्डक, संजय महीपाल, प्रहलाद राय टाक आदि शामिल थे। इन लोगों ने खुलकर दावेदारी भी पेश की है।
वहीं अरोड़वंशी बाहुल्य विधानसभा क्षेत्र होने के कारण अरोड़वंशी के नाम पर एक दर्जन से ज्यादा चेहरे पहले से थे। इनमें अर्जुन राजपाल, राधेश्याम गंगानगर, रमेश राजपाल, नमिता सेठी, जेएम कामरा, अंकुर मिगलानी, ललित बहल आदि-आदि। अब इनमें एक और नया नाम जुड़ गया है। अरोड़वंशी है। भाजपा से नाता रखता रहा है। अब भाजपाई का एक ही विरोधी गुट इस चेहरे को आगे कर चुनाव मैदान में उतारने का प्रयास कर रहा है। यह भी पैसे वाला है। खूब पैसा कमाया है डॉक्टरी के पेशे से। या यूं कहा जा सकता है कि जिले की जनता की मजबूरियों को हथियार बनाकर लूटा है। अब इस पैसे को लूटने के लिए ही भाजपा के लोग इस चेहरे को एमएलए का ख्वाब दिखा रहे हैं।
वहीं प्रहलाद राय टाक ने पिछले दिनों अपनी बंद मु_ी खोल दी। लोगों को शानदार भोजन खिलाने का लालच भी दिया किंतु आये 1 हजार लोग भी नहीं। उनके नजदीकी लोग ही अब मान रहे हैं कि टाक ने बंद मु_ी खोलकर बहुत बड़ी गलती कर दी। उन्होंने जहां लाखों खर्च करके अपने कार्यक्रम के सफल होने का प्रचार करवाया हो लेकिन शहरवासी जानते हैं कि वह वर्चुअल था। उसमें हकीकत नहीं थी। जो नेता शक्ति प्रदर्शन कर रहा हो और वह एक हजार लोग भी नहीं जुटा पा रहा हो तो इसका अर्थ यही है कि वह दौड़ से बाहर हो गया। ईमानदारी से विचार करेंगे तो श्री टाक को भी लगेगा कि शहरी क्षेत्र से तो उतने भी लोग नहीं आये, जितनी आशा की जा रही थी। जो भी कुम्हार बिरादरी के लोग आये, वह बाहरी क्षेत्र से थे।
टाक की बंद मुट्ठी खुलते ही अब एक और व्यापारी नेता ने विधायक बनने के ख्वाब देखने आरंभ कर दिये हैं। श्रीकृष्ण मील बड़े व्यापारी हैं। संयुक्त व्यापार मंडल के अध्यक्ष रहे हैं। नगर परिषद सभापति बनने का भी सपना देखा था जो पूरा नहीं हो पाया। अब वह सीधे विधायक बनने के लिए कमर कस रहे हैं। पिछली बार कांगे्रस प्रत्याशी भी जाट थे और अरोड़वंशियों ने जननेता की छवि होने के बावजूद उनको नकार दिया था। पिछले पांच सालों में अरोड़वंशियों ने अपनी अनदेखी को प्रशासन, राजनीतिक, पुलिस आदि क्षेत्रों में महसूस किया है। इस कारण वे अरोड़वंशी को ही विजयी बनाने का प्रयास करेंगे ताकि उनके समाज की खोई हुई प्रतिष्ठा तो वापिस आ जाये। इससे उन सेठ लोगों को गहरा धक्का लग सकता है जो सिर्फ पैसों के दम पर ही विधानसभा में पहुंचने का सपना देख रहे हैं।
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