नई दिल्ली। 1984 में हुए सिख दंगों तथा ऑपरेशन ब्ल्यू स्टार के बाद एक बार फिर गरम विचारधारा से जुड़े सिख भारत सरकार के खिलाफ रोष प्रकट करने और खालिस्तान की मांग को लेकर बड़ा आंदोलन आरंभ करने वाले हैं। गरमपंथी स्वभाव वाले सिख नेता आगामी 12 अगस्त को लंदन में एकत्र हो रहे हैं और संस्था-'सिखÓज फॉर जस्ट्सिÓ ने ने स्वंय को आयोजनकर्ता बताते हुए प्रचार किया है।
इस संस्था को हालांकि भारत सरकार खालिस्तान समर्थकों की संस्था मानती है, लेकिन अमेरिका, कनाडा और लंदन में यह बड़े स्तर पर सक्रिय है। वहां इस संस्था ने अपने कार्यालय भी स्थापित किये हुए है। संस्था की ओर से सोशल मीडिया पर अपने कार्यक्रम का प्रचार-प्रसार किया जा रहा है। 12 अगस्त को होने वाले कार्यक्रम को स्थगित करने के लिए भारत सरकार ने ब्रिटिश हुकूमत से वार्ता करने का बयान दिया था लेकिन भारत में ब्रिटिश राजदूत ने कहा है कि लंदन में होने वाला कार्यक्रम अगर शांतिपूर्ण हो रहा है तो इससे सरकार को कोई एतराज नहीं है। ब्रिटिश कानून शांतिपूर्ण कार्यक्रम करने और लोगों के एकत्र होने की अनुमति देता है। उल्लेखनीय है कि संस्था की ओर से इस कार्यक्रम में 2 करोड़ लोगों के पहुंचने का दावा किया जा रहा है। इस कार्यक्रम का नाम रैफरेंडम-2020 दिया गया है। इसके बाद वाशिंग्टन में भी खालिस्तान पर ही एक कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया जा रहा है। भारत की खुफिया एजेंसियां इस कार्यक्रम पर नजर रखने को लेकर सक्रिय हो गयी हैं। भारत इसे आईएसआई की साजिश भी बता रहा है। उल्लेखनीय है कि इससे पहले कनाडा सरकार पर भी भारतीय हुकूमत अलगाववादी विचारधारा वाले लोगों को संरक्षण देने का आरोप लगा चुकी है।
#referendum, #pro khalistan, #canada, #landom referendum
इस संस्था को हालांकि भारत सरकार खालिस्तान समर्थकों की संस्था मानती है, लेकिन अमेरिका, कनाडा और लंदन में यह बड़े स्तर पर सक्रिय है। वहां इस संस्था ने अपने कार्यालय भी स्थापित किये हुए है। संस्था की ओर से सोशल मीडिया पर अपने कार्यक्रम का प्रचार-प्रसार किया जा रहा है। 12 अगस्त को होने वाले कार्यक्रम को स्थगित करने के लिए भारत सरकार ने ब्रिटिश हुकूमत से वार्ता करने का बयान दिया था लेकिन भारत में ब्रिटिश राजदूत ने कहा है कि लंदन में होने वाला कार्यक्रम अगर शांतिपूर्ण हो रहा है तो इससे सरकार को कोई एतराज नहीं है। ब्रिटिश कानून शांतिपूर्ण कार्यक्रम करने और लोगों के एकत्र होने की अनुमति देता है। उल्लेखनीय है कि संस्था की ओर से इस कार्यक्रम में 2 करोड़ लोगों के पहुंचने का दावा किया जा रहा है। इस कार्यक्रम का नाम रैफरेंडम-2020 दिया गया है। इसके बाद वाशिंग्टन में भी खालिस्तान पर ही एक कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया जा रहा है। भारत की खुफिया एजेंसियां इस कार्यक्रम पर नजर रखने को लेकर सक्रिय हो गयी हैं। भारत इसे आईएसआई की साजिश भी बता रहा है। उल्लेखनीय है कि इससे पहले कनाडा सरकार पर भी भारतीय हुकूमत अलगाववादी विचारधारा वाले लोगों को संरक्षण देने का आरोप लगा चुकी है।
#referendum, #pro khalistan, #canada, #landom referendum
No comments:
Post a Comment