मां दुर्गा के गुप्त नवरात्रों पर विशेष पूजा
शराब-मांस का सेवन अनिष्टकारी हो सकता है
श्रीगंगानगर। आदि शक्ति मां दुर्गा के पवित्र गुप्त नवरात्रा आरंभ हो गये हैं। इन दिनों में की गयी पूजा का विशेष महत्व होता है और यह ज्यादा फलदायी होती है। इससे असीम शांति की प्राप्ति होती है।
उपासक स्वामी सत्य ईश्वरानंद ने इस संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि गुप्त नवरात्रों का अन्य नवरात्रों की तरह ही विशेष महत्व होता है। उन्होंने बताया कि नवरात्रों का शुद्ध शब्द नवरात्रि होता है अर्थात 9 रात्रि। 10 दिन मां की पूजा के रूप में कन्या पूजन होता है। उन्होंने बताया कि गुप्त नवरात्रों के दौरान पूजा को गुप्त किया जाता है। यह तांत्रिक विद्या के लिए नहीं है बल्कि इससे घर की सुख-समृद्धि के लिए किया जाना ज्यादा फलदायक होता है। मां दुर्गा और उनकी 9 शक्तियों ने ही महासुरों चण्ड-मुण्ड, शुम्भ-निशुम्भ, दुर्गम, रक्तबीज, धूम्रलोचन आदि का संहार किया था। चण्ड-मुण्ड का संहार करने पर ही मां भगवती का एक नाम चामुण्डा रखा गया और वहीं दुर्गम असुर को मौत के घाट उतारने पर मां दुर्गा का नाम मिला। आदि शक्ति की पूजा एक विद्वान उपासक के सान्निध्य में की जानी चाहिये। मांस-मदिरा का इन 10 दिनों में सेवन करना अनिष्टकारी हो सकता है।
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शराब-मांस का सेवन अनिष्टकारी हो सकता है
श्रीगंगानगर। आदि शक्ति मां दुर्गा के पवित्र गुप्त नवरात्रा आरंभ हो गये हैं। इन दिनों में की गयी पूजा का विशेष महत्व होता है और यह ज्यादा फलदायी होती है। इससे असीम शांति की प्राप्ति होती है।
उपासक स्वामी सत्य ईश्वरानंद ने इस संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि गुप्त नवरात्रों का अन्य नवरात्रों की तरह ही विशेष महत्व होता है। उन्होंने बताया कि नवरात्रों का शुद्ध शब्द नवरात्रि होता है अर्थात 9 रात्रि। 10 दिन मां की पूजा के रूप में कन्या पूजन होता है। उन्होंने बताया कि गुप्त नवरात्रों के दौरान पूजा को गुप्त किया जाता है। यह तांत्रिक विद्या के लिए नहीं है बल्कि इससे घर की सुख-समृद्धि के लिए किया जाना ज्यादा फलदायक होता है। मां दुर्गा और उनकी 9 शक्तियों ने ही महासुरों चण्ड-मुण्ड, शुम्भ-निशुम्भ, दुर्गम, रक्तबीज, धूम्रलोचन आदि का संहार किया था। चण्ड-मुण्ड का संहार करने पर ही मां भगवती का एक नाम चामुण्डा रखा गया और वहीं दुर्गम असुर को मौत के घाट उतारने पर मां दुर्गा का नाम मिला। आदि शक्ति की पूजा एक विद्वान उपासक के सान्निध्य में की जानी चाहिये। मांस-मदिरा का इन 10 दिनों में सेवन करना अनिष्टकारी हो सकता है।
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