एक बुरे दौर का अंत हुआ, काली रात के बाद नयी ऊर्जा वाली सुबह आई सम्पादक की टांग टूट गयी लेकिन सांध्यदीप ने विपिन पाण्डेय की कारगुजारियों के खिलाफ अभियान जारी रखा
श्रीगंगानगर। 'हर काली रात के बाद नयी सुबह आती है!Ó यह पुरानी कहावत है और मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने आखिर श्रीगंगानगरवासियों को नई सुबह प्रदान कर दी है। नयी ऊर्जा दी है। पुलिस प्रशासन पर आम जनता का विश्वास खत्म हो गया था और इस विश्वास को पुन: मजबूती देने के लिए एमएन दिनेश नामक आईपीएस अधिकारी की नियुक्ति की है। यह वो अधिकारी हैं जिनको बच्चा-बच्चा जानता है और चाहता है कि उनकी रेंज में ऐसा ही अधिकारी हो।
श्रीगंगानगर जिला पिछले काफी समय से ऐसी त्रासदी झेल रहा था, जो अंगे्रजों के जमाने में भी देशवासियों ने नहीं झ्रेली होगी। हालांकि कानून वही है जो अंग्रेज बनाकर गये थे। अंग्रेजों की बनाये हुए पुलिस नियम-आईपीसी से ही काम चल रहा था। इससे सिर्फ पब्लिक को ही दर्द होता था और यह दर्द ऐसा था कि पुलिस में सुधार के लिए नये नियम बनाने की मांग कभी मुद्दा ही नहीं बनी। पुलिस को ऐसी शक्तिशाली कानून की लाठी दे दी गयी, जिसने जो लिख दिया, वह कोर्ट भी मंजूर कर लेता था। भारत का संविधान अमेरिका से लिया गया और कानून इंग्लैण्ड का था। अमेरिका जब इंग्लैण्ड से आजाद हुआ तो उसने नये अमेरिका को बनाने की शुरुआत की थी। यहां तक कि उन्होंने इंग्लिश (यूके) के स्थान पर इंग्लिश (यूएसए) भाषा बनायी। इंग्लैण्ड में कार का स्टेयरिंग राइट साइड में होता है तो अमेरिका ने उसे लेफ्ट साइड में किया। इंग्लैण्ड में प्रधानमंत्री और उनकी कैबिनेट के पास देश से संबंधित निर्णय लेने के अधिकार होते हैं तो अमेरिका ने राष्ट्रपति को सभी अधिकार दिये। अमेरिकी किसी भी तरह से अपनी गुलामी की जिंदगी से बाहर आना चाहते थे। वे उन बुरी यादों को भूल जाना चाहते थे। उन्होंने अपनी इच्छाशक्ति से यह कर भी दिखाया। नया अमेरिका बना। विश्व का सबसे मजबूत अमेरिका। एक सदी से वह दुनिया में सबसे मजबूत देश की छवि को बनाये हुए है और उसको अगले सौ सालों तक कोई भी देश टक्कर देने की स्थिति में भी नहीं है।
भारत सरकार अंग्रेजी हुकूमत की ताकत की नीतियों को अपनाया और कभी पुलिस सुधार की तरफ ध्यान हीं नहीं दिया। आज इसका नतीजा यह हुआ कि भारतीय लोगों को असामाजिक तत्वों के साथ-साथ पुलिस नामक सरकारी संस्था से भी टकराना पड़ता है। आजादी के 70 सालों बाद भी पुलिस पब्लिक का दिल नहीं जीत पायी। जो पुलिस वाले के सामने बोला, पुलिस के खिलाफ बोला उसको घायल कर दिया गया।
हालात तो उस समय और भी खराब हो गयी जब पाकिस्तान सीमा पर बसे प्रदेश के अन्तिम जिले श्रीगंगानगर में पुलिस सरेआम दुकानें चलाने लगी और जिन अधिकारियों पर उन पर लगाम लगाने की जिम्मेदारी थी, वे भी अपना हिस्सा लेकर जीभ को दांत तले दबाकर बैठ गये। रेंज आईजी पर पैसे लेकर थानाधिकारियों की नियुक्तियां करने का आरोप लगा और इन आरोपों से सीएम भी रूबरू हुईं। यही कारण है कि राज्य सरकार के आदेशों पर जो तबादला सूची जारी हुई है उसमें प्रदेश की 6 रेंज में से पांच अधिकारियों का तबादला दूसरी रेंज में किया जबकि बीकानेर रेंज में खासकर गंगानगर-हनुमानगढ़ में पैसे लेकर थानाधिकारी की नियुक्ति के खेल को उजागर होने के बाद रेंज आईजी विपिन कुमार पाण्डेय को पुलिस मुख्यालय में वो पद दिया गया है जिसको खांचा कहा जाता है। जहां प्रदेश की पुलिस से उनका कोई सीधा वास्ता नहीं रहेगा। प्रदेश की पुलिस के किसी भी कर्मचारी के खिलाफ वे जांच तक नहीं कर सकेंगे। पीएचक्यू में सुबह आयेंगे और शाम को अपने सरकारी क्वार्टर में वापिस चले जायेंगे।
'सांध्यदीप.कॉ.इनÓ ने मुख्यमंत्री के आगन पर जो खुलासा बीकानेर आईजी का किया था। उस खुलासे के बाद भले ही सम्पादक पर जानलेवा हमला हो गया और उन्हें तीन माह तक बैड पर रेस्ट करना पड़ा हो लेकिन यह गंगानगर की जनता की एक बहुत बड़ी जीत है। इस जीत में दिनेश एमएन की नियुक्ति शामिल है। उन जैसे अधिकारी की आवश्यकता थी और आशा है कि श्री एमएन गंगानगर की जनता की अपेक्षाओं पर खरें उतरेंगे। वे गरीब की आवाज को सुनने वाले अधिकारी माने जाते हैं और रिश्वत का नाम तक पसंद नहीं है। उनके कार्यभार संभालने के बाद यह सत्य है कि रेंज में नये सिरे से अब थानाधिकारियों की नियुक्तियां होंगी और उन अधिकारियों को भारी नुकसाान होगा जो लाखों देकर थानाधिकारी बने थे और अवैध धंधे चलाकर अपना व अपने उच्चाधिकारियों का पेट पाल रहे थे।
श्रीगंगानगर। 'हर काली रात के बाद नयी सुबह आती है!Ó यह पुरानी कहावत है और मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने आखिर श्रीगंगानगरवासियों को नई सुबह प्रदान कर दी है। नयी ऊर्जा दी है। पुलिस प्रशासन पर आम जनता का विश्वास खत्म हो गया था और इस विश्वास को पुन: मजबूती देने के लिए एमएन दिनेश नामक आईपीएस अधिकारी की नियुक्ति की है। यह वो अधिकारी हैं जिनको बच्चा-बच्चा जानता है और चाहता है कि उनकी रेंज में ऐसा ही अधिकारी हो।
श्रीगंगानगर जिला पिछले काफी समय से ऐसी त्रासदी झेल रहा था, जो अंगे्रजों के जमाने में भी देशवासियों ने नहीं झ्रेली होगी। हालांकि कानून वही है जो अंग्रेज बनाकर गये थे। अंग्रेजों की बनाये हुए पुलिस नियम-आईपीसी से ही काम चल रहा था। इससे सिर्फ पब्लिक को ही दर्द होता था और यह दर्द ऐसा था कि पुलिस में सुधार के लिए नये नियम बनाने की मांग कभी मुद्दा ही नहीं बनी। पुलिस को ऐसी शक्तिशाली कानून की लाठी दे दी गयी, जिसने जो लिख दिया, वह कोर्ट भी मंजूर कर लेता था। भारत का संविधान अमेरिका से लिया गया और कानून इंग्लैण्ड का था। अमेरिका जब इंग्लैण्ड से आजाद हुआ तो उसने नये अमेरिका को बनाने की शुरुआत की थी। यहां तक कि उन्होंने इंग्लिश (यूके) के स्थान पर इंग्लिश (यूएसए) भाषा बनायी। इंग्लैण्ड में कार का स्टेयरिंग राइट साइड में होता है तो अमेरिका ने उसे लेफ्ट साइड में किया। इंग्लैण्ड में प्रधानमंत्री और उनकी कैबिनेट के पास देश से संबंधित निर्णय लेने के अधिकार होते हैं तो अमेरिका ने राष्ट्रपति को सभी अधिकार दिये। अमेरिकी किसी भी तरह से अपनी गुलामी की जिंदगी से बाहर आना चाहते थे। वे उन बुरी यादों को भूल जाना चाहते थे। उन्होंने अपनी इच्छाशक्ति से यह कर भी दिखाया। नया अमेरिका बना। विश्व का सबसे मजबूत अमेरिका। एक सदी से वह दुनिया में सबसे मजबूत देश की छवि को बनाये हुए है और उसको अगले सौ सालों तक कोई भी देश टक्कर देने की स्थिति में भी नहीं है।
भारत सरकार अंग्रेजी हुकूमत की ताकत की नीतियों को अपनाया और कभी पुलिस सुधार की तरफ ध्यान हीं नहीं दिया। आज इसका नतीजा यह हुआ कि भारतीय लोगों को असामाजिक तत्वों के साथ-साथ पुलिस नामक सरकारी संस्था से भी टकराना पड़ता है। आजादी के 70 सालों बाद भी पुलिस पब्लिक का दिल नहीं जीत पायी। जो पुलिस वाले के सामने बोला, पुलिस के खिलाफ बोला उसको घायल कर दिया गया।
हालात तो उस समय और भी खराब हो गयी जब पाकिस्तान सीमा पर बसे प्रदेश के अन्तिम जिले श्रीगंगानगर में पुलिस सरेआम दुकानें चलाने लगी और जिन अधिकारियों पर उन पर लगाम लगाने की जिम्मेदारी थी, वे भी अपना हिस्सा लेकर जीभ को दांत तले दबाकर बैठ गये। रेंज आईजी पर पैसे लेकर थानाधिकारियों की नियुक्तियां करने का आरोप लगा और इन आरोपों से सीएम भी रूबरू हुईं। यही कारण है कि राज्य सरकार के आदेशों पर जो तबादला सूची जारी हुई है उसमें प्रदेश की 6 रेंज में से पांच अधिकारियों का तबादला दूसरी रेंज में किया जबकि बीकानेर रेंज में खासकर गंगानगर-हनुमानगढ़ में पैसे लेकर थानाधिकारी की नियुक्ति के खेल को उजागर होने के बाद रेंज आईजी विपिन कुमार पाण्डेय को पुलिस मुख्यालय में वो पद दिया गया है जिसको खांचा कहा जाता है। जहां प्रदेश की पुलिस से उनका कोई सीधा वास्ता नहीं रहेगा। प्रदेश की पुलिस के किसी भी कर्मचारी के खिलाफ वे जांच तक नहीं कर सकेंगे। पीएचक्यू में सुबह आयेंगे और शाम को अपने सरकारी क्वार्टर में वापिस चले जायेंगे।
'सांध्यदीप.कॉ.इनÓ ने मुख्यमंत्री के आगन पर जो खुलासा बीकानेर आईजी का किया था। उस खुलासे के बाद भले ही सम्पादक पर जानलेवा हमला हो गया और उन्हें तीन माह तक बैड पर रेस्ट करना पड़ा हो लेकिन यह गंगानगर की जनता की एक बहुत बड़ी जीत है। इस जीत में दिनेश एमएन की नियुक्ति शामिल है। उन जैसे अधिकारी की आवश्यकता थी और आशा है कि श्री एमएन गंगानगर की जनता की अपेक्षाओं पर खरें उतरेंगे। वे गरीब की आवाज को सुनने वाले अधिकारी माने जाते हैं और रिश्वत का नाम तक पसंद नहीं है। उनके कार्यभार संभालने के बाद यह सत्य है कि रेंज में नये सिरे से अब थानाधिकारियों की नियुक्तियां होंगी और उन अधिकारियों को भारी नुकसाान होगा जो लाखों देकर थानाधिकारी बने थे और अवैध धंधे चलाकर अपना व अपने उच्चाधिकारियों का पेट पाल रहे थे।
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